“भारत अब ‘संभावना और क्षमता’ से आगे बढ़ रहा है और वैश्विक कल्याण के एक बड़े उद्देश्य के लिए कार्य कर रहा है”
“आज देश प्रतिभा, कारोबार और प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित कर रहा है”
“आत्मनिर्भर भारत हमारा रास्ता भी है और संकल्प भी”
“पृथ्वी के लिए कार्य करें– पर्यावरण, कृषि, पुनर्चक्रण, प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य देखभाल”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज जैन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संगठन के ‘जीतो कनेक्ट 2022’ के उद्घाटन सत्र को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया, सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने आज के कार्यक्रम की थीम में ‘सबका प्रयास’ की भावना का उल्लेख किया और कहा कि आज भारत के विकास के संकल्पों को दुनिया अपने लक्ष्यों की प्राप्ति का माध्यम मान रही है। वैश्विक शांति हो, वैश्विक समृद्धि हो, वैश्विक चुनौतियों से संबंधित समाधान हों या वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का सशक्तिकरण हो, दुनिया भारत की तरफ बड़े भरोसे से देख रही है। उन्होंने कहा, “मैं कई यूरोपीय देशों को ‘अमृत काल’ के लिए भारत के संकल्प के बारे में जानकारी देने के बाद अभी-अभी वापस आया हूँ।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि विशेषज्ञता का क्षेत्र, कार्य क्षेत्र चाहे जो भी हो, विचारों में चाहे जितनी भी भिन्नता हो, लेकिन नए भारत का उदय सभी को जोड़ता है। आज सभी को लगता है कि भारत अब ‘संभावना और क्षमता’ से आगे बढ़कर वैश्विक कल्याण के एक बड़े उद्देश्य के लिए कार्य कर रहा है। सही उद्देश्य, स्पष्ट इरादा और अनुकूल नीतियों से जुड़ी अपनी बातों को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि आज देश; जितना संभव हो सकता है; प्रतिभा, कारोबार और प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित कर रहा है। उन्होंने कहा कि आज देश प्रतिदिन दर्जनों स्टार्टअप का पंजीकरण कर रहा है, प्रति सप्ताह एक यूनिकॉर्न बना रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब से सरकारी ई-मार्केटप्लेस यानी जीईएम पोर्टल अस्तित्व में आया है, सारी खरीद सबके सामने एक प्लेटफॉर्म पर होती है। अब दूरदराज के गांवों के लोग, छोटे दुकानदार और स्वयं सहायता समूह अपने उत्पाद सीधे सरकार को बेच सकते हैं। उन्होंने बताया कि आज जीईएम पोर्टल पर 40 लाख से अधिक विक्रेता जुड़ चुके हैं। उन्होंने पारदर्शी ‘फेसलेस’ टैक्स निर्धारण, एक राष्ट्र-एक टैक्स, उत्पादकता से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं के बारे में भी बात की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भविष्य का हमारा रास्ता और मंजिल दोनों स्पष्ट हैं। “आत्मनिर्भर भारत हमारा रास्ता भी है और संकल्प भी। बीते सालों में हमने इसके लिए हर ज़रूरी माहौल बनाने में निरंतर परिश्रम किया है।”
प्रधानमंत्री ने उपस्थित जनसमुदाय से ‘ईएआरटीएच– अर्थ’ के लिए काम करने का आग्रह किया। उन्होंने विस्तार से बताया कि ‘ई’ का अर्थ है; एनवायरमेंट यानि पर्यावरण की समृद्धि। उन्होंने उनसे इस पर भी चर्चा करने का आग्रह किया कि वे अगले वर्ष 15 अगस्त तक हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर बनाने के प्रयासों को कैसे समर्थन कर सकते हैं। ‘ए’ का अर्थ है; एग्रीकल्चर, यानि कृषि को अधिक लाभकारी बनाना और प्राकृतिक खेती, कृषि प्रौद्योगिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अधिक से अधिक निवेश करना। ‘आर’ का अर्थ है; रीसाईकल यानि पुनर्चक्रण और चक्रीय अर्थव्यवस्था पर जोर देना, पुन: उपयोग, कम उपयोग और पुनर्चक्रण के लिए काम करना। ‘टी’ का अर्थ है; टेक्नोलॉजी यानि प्रौद्योगिकी को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक ले जाना।
उन्होंने लोगों से इस बात पर विचार करने का आग्रह किया कि वे ड्रोन तकनीक जैसी अन्य उन्नत तकनीक को और अधिक सुलभ कैसे बना सकते हैं। ‘एच’ का अर्थ है; हेल्थकेयर, यानि स्वास्थ्य देखभाल, उन्होंने कहा कि आज सरकार देश के हर जिले में स्वास्थ्य देखभाल और मेडिकल कॉलेज जैसी व्यवस्थाओं के लिए बहुत काम कर रही है। उन्होंने जनसमुदाय से इस बात पर भी विचार करने का आग्रह किया कि उनकी संस्था इसे कैसे प्रोत्साहित कर सकती है।
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