सिसवा बाजार-महराजगंज। पेट की आग ऐसी होती है जिसे बुझाने के लिए इंसान मजबूर होकर कुछ भी कर गुजरता है। भूख की लाचारी और पेट की आग बुझाने के लिए यह मासूम लड़की हर दिन खतरों से खेलती है, सिसवा कस्बे व आस पास के ग्रामीण इलाकों में रस्सी पर हैरतअंगेज करतब Amazing Feat दिखाने वाली इस मासूम लड़की के कारनामों को देख लोग दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर हो जा रहे हैं।

Amazing Feat – To extinguish the fire in her stomach, she plays with danger every day, shows amazing feat by walking on a rope.
मंगलवार को सिसवा रेलवे स्टेशन पार्किंग में इस मासूम लड़की के करतब देखने के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई थी। वो पिछले कई दिनों से क्षेत्र में हैरतअंगेज सर्कस के कारनामे दिखा रही है। पहले वह ज़मीन पर पूरे शरीर को एक कुशल जिम्नास्टिक की तरह करतब दिखाती है। उसके बाद आठ फुट की ऊंचाई पर बांधी गई रस्सी पर बिना किसी स्टंट सामग्री के बैलेंस बनाकर एक से बढ़कर एक कारनामे दिखाती है। इस बीच ज़रा सी भी चूक इसके लिए जानलेवा साबित हो सकती है, लेकिन अपने परिवार के साथ वह अपने करतबों के सहारे भूख व लाचारी से जंग लड़ रही है।

शिक्षा की मुख्य धारा से कोसों दूर है
इनका कहना है कि सर्कस का खेल दिखाना पुश्तैनी पेशा है। वह भी पहले खेल दिखा चुकी है। गांव में हर परिवार सर्कस के खेल से जुड़ा है। इसलिए बचपन में स्कूल जाने का मौका ही नहीं मिलता है। बच्चों को 3 से 4 साल की अवस्था में ही सर्कस की ट्रेनिंग शुरू कर दी जाती है।

दर्शक जो दें, उससे हो जाता है गुजारा
सर्कस का खेल देखकर दर्शक खुशी से जो रुपया, पैसा या राशन दे देते हैं। उससे इन लोगों का गुजारा हो जाता है। कलाकार के लिए तालियां मायने रखती हैं। कला के कद्रदान तालियां बजाते हैं तो इनका उत्साह बढ़ जाता है।
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