November 22, 2024

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डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाओं ने अपने पति व संतान की मंगल कामना के साथ घर की सुख समृद्धि कामना की

    

डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाओं ने अपने पति व संतान की मंगल कामना के साथ घर की सुख समृद्धि कामना की

      महराजगंज। जिले भर मे छठ पूजा की धूम मची रही जगह जगह कार्यक्रम आयोजित कर छठ पूजा मनाई गयी । अर्घ्य देकर महिलाओ ने पति व संतान की मंगल कामना के साथ घर की सुख समृद्धि कामना की । हमारे प्रतिनिधि के अनुसार छठ पूजा पर्व मे  क्षेत्र की महिलाओ ने बढचढ कर हिस्सा लिया और छठी मइया की पूजा अर्चना कर पर्व धूमधाम से मनाया गया।
    आज बुधवार की शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर महिलाओं ने अपने पति व संतान की मंगल कामना के साथ घर की सुख समृद्धि कामना की। गुरूवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य  देकर उनकी उपासना की जाएगी।छठ पूजा पर्व दीपावली से छह दिन बाद शुरू होता है। मान्यता है कि सूर्य पुत्र अंगराज कर्ण प्रतिदिन सुबह जल में खड़े होकर सूर्य की उपासना करते थे और उपासना के बाद उनके पास आकर कोई भी याचक चाहे जो मांग लेए वह खाली हाथ नहीं लौटता था। इसी मान्यता के साथ कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को भगवान सूर्य की उपासना करने के लिए छठी उत्सव मनाया जाता है।
    परम्पराओं के अनुसार नदी, तालाव व घाटों पर खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। श्रद्धालुओं ने फलए फूलए गन्नाए गुड़ व घी से बने ठेकुआ और चावल के आटे व गुड़ से बने भूसवा जैसे व्यंजनों के साथ पूजा.अर्चना की। प्रकृति और मनुष्य का साथ अनादि काल से चलता चला आया है छठ पर्व इसी का प्रतीक है जहां प्रकृति का अंश होकर मनुष्य इस त्यौहार को मनाता है छठ का ऐसा त्यौहार है जिसमे मंत्र लोक परंपराएं हैं यहां मंत्र छठ के गीत हैं जो मानव के उत्सवधर्मी स्वभाव को प्रदर्शित करते हैं।यह महापर्व बिहारी लोगों के साथ.साथ पूर्वांचल समेत संपूर्ण भारत में बड़े हर्षाेल्लास के साथ मनाया जाता है।
    इसी क्रम में पूजा घाटों में महिलाओं ने भगवान भास्कर की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त किया। मंगलवार को महिलाओं ने दिनभर व्रत रखा छठ पूजा घाट पर दीपक जलाए रात में मीठी खीर लौकी की सब्जी का प्रसाद ग्रहण किया। इसी के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत पूर्ण हो गया। आज बुधवार को व्रत धारियों ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा घाट को रंग रोगन व बिजली की रोशनी से सजाया और फल.फूल और मिष्ठान का भोग लगाकर भगवान भास्कर से मनोवांछित फल की कामना की।

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