November 22, 2024

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पैग़ंबर-ए-इस्लाम की शान में गुस्ताख़ी से मुस्लिम समाज में आक्रोश,वसीम रिज़वी की गिरफ़्तारी व विवादित पुस्तक बैन करने की मांग 

           गोरखपुर। शिया वक़्फ़ बोर्ड उप्र के सदस्य वसीम रिज़वी द्वारा लिखी गई विवादित पुस्तक को बैन करने, वसीम रिज़वी व नरसिंहानंद की गिरफ़्तारी और त्रिपुरा में मस्जिदों व मुसलमानों की हिफ़ाजत की मांग को लेकर मुस्लिम समाज के लोगों ने डीएम कार्यालय पर प्रदर्शन किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा। वसीम रिज़वी व नरसिंहानंद मुर्दाबाद का नारा लगाया।
         नेतृत्व कर रहे सैयद नदीम अहमद व सैयद हुसैन अहमद ने कहा कि वसीम रिज़वी ने पैगंबर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िदंगी पर विवादित पुस्तक लिखकर नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। रिज़वी ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के डासना स्थित एक मंदिर में दर्शन करने के बाद नरसिंहानंद सरस्वती से अपनी विवादित पुस्तक का विमोचन कराया। विवादित पुस्तक में वसीम रिज़वी ने पैग़ंबर-ए-इस्लाम, इस्लाम धर्म व उम्मुल मोमिनीन हज़रत ख़दीजा की शान में बहुत गुस्ताख़ियां की हैं। जिसे लेकर मुसलमानों में बहुत आक्रोश है।
        हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी व हाफ़िज़ आफताब ने कहा कि मुसलमान पैग़ंबर-ए-इस्लाम की शान में गुस्ताख़ी व तौहीन बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। वसीम रिज़वी का देशभर के मुसलमान विरोध कर रहे हैं। लिहाजा वसीम रिज़वी की पुस्तक को बैन किया जाए। देशद्रोह के तहत वसीम रिज़वी व नरसिंहानंद सरस्वती पर मुकदमा दर्ज कर जल्द गिरफ़्तारी का आदेश जारी किया जाए।
      कारी मो. अनस रज़वी व हाफ़िज़ महमूद रज़ा क़ादरी ने कहा कि भारत सरकार द्वारा जल्द तहफ़्फ़ुजे नामूस-ए-रिसालत क़ानून बनाया जाए। ताकी भविष्य में कोई भी शख़्स व संगठन मुसलमानों की मुक़द्दस हस्तियों और क़ुरआन-ए-पाक की शान में गुस्ताख़ी व बेहुरमती करने की हिम्मत न कर सके।
       समाजसेवी आदिल अमीन व हाफ़िज़ अलकमा ने कहा कि त्रिपुरा में मुसलमानों पर जुल्म व ज्यादती की जा रही है। रैलियां निकालकर पैगंबर-ए-इस्लाम की शान में गुस्ताख़ी की जा रही है। क़ुरआन-ए-पाक की बेहुरमती की जा रही है। मस्जिदों व मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। त्रिपुरा में सरकार द्वारा दोषियों के खिलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जो बहुत निंदनीय है।
      एडवोकेट तौहीद अहमद व एडवोकेट मिनहाज सिद्दीक़ी ने कहा कि त्रिपुरा में सांप्रदायिक तत्व जब चाहें मुसलमानों के जीवन से खेलना शुरू कर देते हैं। रैलियों के जरिए मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ नारेबाजी की जा रही है और पैगंबर-ए-इस्लाम व पवित्र पुस्तक क़ुरआन-ए-पाक का अपमान किया जा रहा है। यह बेहद गंभीर मामला है। त्रिपुरा में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए और मुसलमानों के नुकसान की भरपाई की जाए।
      एडवोकेट शुएब अंसारी ने कहा कि त्रिपुरा हिंसा के लिए जो लोग भी जिम्मेदार हैं उन्हें दंडित किया जाए। त्रिपुरा में मस्जिदों व मुसलमानों की हिफ़ाजत के लिए उचित क़दम उठाया जाए।
      मदरसा शिक्षक नवेद आलम ने कहा कि त्रिपुरा में मुसलमानों पर हुई हिंसा की सीबीआई जांच करवाकर दोषी संगठनों व लोगों पर सख़्त कार्रवाई की जाए। देश में मस्जिद, मदरसा, दरगाह व मुसलमानों की हिफ़ाजत के लिए उचित क़दम उठाया जाए।
       ज्ञापन सौंपने वालों में आज़म खान, शमशाद आलम, महताब आलम, यासीन खान, मो. अफजल खान, मो. शहबाज, खुर्शीद आलम, हबीब सिद्दीक़ी, आरिफ खान, अशरफ, शादाब आलम, अज़हर, सद्दाम हुसैन, आजाद, मकसूद आलम, शाहरुख, हाफ़िज़ आरिफ, अली गज़नफर शाह, मो. शारिक खान, मो. इरफान, मो. इरशाद खान, मो. जावेद, आदिल अमीन, मो. आशिक, नवाज़, ओवैस, अरशद अहमद,. आरिफ एडवोकेट सैयद फ़रहान अहमद क़ादरी आदि शामिल रहे।

 

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