नई दिल्ली। अंततः लंबे समय तक जारी किसानों के आंदोलन के आगे सरकार को झुकना ही पड़ा। गुरु पर्व के अवसर पर सरकार ने तीनों नए कानूनों को रद्द करने के निर्णय का ऐलान किया। बीते एक साल से दिल्ली के बॉर्डरों पर डटे किसान एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर इस कदम का स्वागत कर रहे हैं। इस दौरान सिंघु बॉर्डर पर सबद कीर्तन का भी आयोजन किया गया। हालांकि, अभी किसान आंदोलन स्थलों से लौटने को तैयार नहीं हैं। किसान एक साल से तीन कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर एक नया कानून बनाने की मांग कर रहे थे। प्राप्त जानकारी के अनुसार, पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद किसानों ने आज गाजीपुर सीमा पर किसान एकता जिंदाबाद के नारों के साथ जश्न मनाया। पीएम मोदी ने गुरु पर्व एवं गुरुनानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा की और कहा कि इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा। पीएम ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से जुड़े मुद्दों पर एक समिति बनाने की भी घोषणा की।
एसकेएम के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि वह उचित संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेगा। किसान मोर्चा ने एक बयान जारी कर आज कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा इस निर्णय का स्वागत करता है और उचित संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेगा। आगामी कुछ महीने के भीतर देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए कुछ लोग इस निर्णय को महत्वपूर्ण मान रहे है। किसानों का मानना है, कि आखिर सरकार को किसानों के विरोध प्रदर्शन के बाद इसे रद्द करने का निर्णय लेना ही पड़ा ।
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