काबुल । काबुल पर कब्जा किए ढाई महीने से ज्यादा का समय बीत गया है लेकिन अभी तक अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार को दुनिया के किसी देश ने मान्यता नहीं दी है। हालांकि, इससे तिलमिलाए तालिबान ने एक बार फिर से अमेरिका सहित सभी देशों को कहा है कि अगर उसे मान्यता नहीं दी जाएगी तो इससे सिर्फ अफगानिस्तान नहीं बल्कि पूरी दुनिया में समस्याएं पैदा होंगी। पाकिस्तान, चीन भले ही तालिबान सरकार के समर्थन में आ गए हों लेकिन अभी तक किसी भी देश ने आधिकारिक रूप से इसे मान्यता नहीं दी है। वहीं, अफगानिस्तान की विदेशों में मौजूद अरबों-खबर रुपये की संपत्ति को भी फ्रीज कर दिया गया है। अफगानिस्तान की माली हालत बद से बदतर हो गई है।
अमेरिका के लिए हमारा संदेश है कि अगर हमें मान्यता नहीं दी जाती तो अफगानिस्तान की समस्याएं भी जारी रहेंगी। यह इस क्षेत्र की समस्या है और धीरे-धीरे दुनिया की समस्या बन सकती है। जबीउल्लाह ने यह भी कहा कि पिछली बार अमेरिका और तालिबान के बीच युद्ध की वजह भी यही थी कि दोनों के बीच आधिकारिक तौर पर कूटनीतिक रिश्ते नहीं थे।
अमेरिका ने 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकी हमले के बाद उसी साल अफगानिस्तान में अपनी फौज भेज दी थी। उस समय की तालिबान सरकार ने आतंकी संगठन अल-कायदा के सरगना ओसामा बिन-लादेन को अमेरिका को सौंपने से इनकार कर दिया था, जिसकी वजह से अमेरिका ने अफगान में अपनी सेना भेजने का फैसला किया था।
मुजाहिद ने कहा, जिन वजहों से युद्ध हुआ, उन्हें बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता था, वे राजनीतिक समझौतों से भी सुलझा सकते थे। मुजाहिद ने आगे यह भी कहा कि मान्यता देना अफगानी जनता का अधिकार है।
अभी तक किसी देश ने औपचारिक तौर पर अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार को मान्यता नहीं दी है लेकिन इस बीच तुर्कमेनिस्तान, चीन के वरिष्ठ नेताओं ने तालिबानी अधिकारियों से कतर और काबुल में मुलाकात की है।
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