काबुल । अमेरिका के अलावा अधिकतर देशों ने अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को निकालने का अभियान पूरा कर लिया है. अमेरिका ने 15 अगस्त को तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद से 1 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित रूप से निकाला है और उसे उम्मीद है कि मंगलवार की समय सीमा तक वह अपने सभी लोगों को वहां से निकाल ले. सैनिकों को निकाले जाने की अंतिम प्रक्रिया के बीच तालिबान ने कहा है कि वह आगामी सरकार के लिए कैबिनेट बनाने की तैयारी कर रहा है, हालांकि ये अब भी साफ नहीं है कि नई कैबिनेट का गठन कब होगा.
कई मीडिया रिपोर्ट में अटकलें लगाई जा रही हैं कि तालिबान जल्द इसकी घोषणा कर सकता है. सूत्रों ने तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद के हवाले से बताया कि कैबिनेट गठन की घोषणा आने वाले हफ्ते में हो सकती है. लेकिन बाद में मुजाहिद ने स्पष्ट किया कि तालिबान कैबिनेट का गठन एक से दो हफ्ते में कर सकता है. शनिवार को उसने बताया कि नई कैबिनेट पर काम जारी है और इससे जुड़ी घोषणा जल्द हो सकती है.
यह अब तक स्पष्ट नहीं है कि तालिबान का नया शासन किस तरीके का होगा. एक्सपर्ट तालिबान के 90एस के शासन को नहीं दोहराने की प्रतिबद्धता को लेकर संशय जताते हैं. उस दौर में अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई और लोगों पर दमन का सबसे बुरा दौर था. तालिबान के सहसंस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने भी स्वीकार किया है कि समूह ने इतनी जल्दी देश पर नियंत्रण करने की उम्मीद नहीं की थी. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उन्होंने अब तक यह तय नहीं किया है कि देश पर कौन और कैसे शासन करेगा.
तालिबान राज में सबसे ज्यादा उसकी क्रूरता और महिलाओं पर अत्याचार से लोग डर रहे हैं. संगठन ने कैबिनेट में महिलाओं को शामिल किए जाने को लेकर सवाल का जवाब नहीं दिया.
प्रवक्ता मुजाहिद ने कहा कि इसका फैसला शीर्ष नेतृत्व को करना है और वो इसका अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि उनका फैसला क्या होगा.
तालिबान राज में सबसे ज्यादा उसकी क्रूरता और महिलाओं पर अत्याचार से लोग डर रहे हैं. संगठन ने कैबिनेट में महिलाओं को शामिल किए जाने को लेकर सवाल का जवाब नहीं दिया.
प्रवक्ता मुजाहिद ने कहा कि इसका फैसला शीर्ष नेतृत्व को करना है और वो इसका अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि उनका फैसला क्या होगा.
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इसके अलावा अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का सवाल भी है. करीब 4 दशकों के युद्ध से प्रभावित देश की आर्थिक व्यवस्था को विदेशी सहायता के रूप में मिले अरबों डॉलर के नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. मुद्रा में गिरावट और खाद्य कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. तालिबान के कब्जे के बाद दो हफ्तों से ज्यादा समय से देशभर में केंद्रीय बैंक, निजी बैंक और मनी एक्सचेंज मार्केट तक बंद हैं.
शनिवार को तालिबान ने एक बयान में बैंकों को 200 डॉलर या 20,000 अफगानी की निकासी की साप्ताहिक सीमा पर फिर से खोलने का आदेश दिया गया था. मुजाहिद ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा मंत्रालय और केंद्रीय बैंक सहित प्रमुख संस्थानों को चलाने के लिए अधिकारियों को नियुक्त किया जा चुका है
शनिवार को तालिबान ने एक बयान में बैंकों को 200 डॉलर या 20,000 अफगानी की निकासी की साप्ताहिक सीमा पर फिर से खोलने का आदेश दिया गया था. मुजाहिद ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा मंत्रालय और केंद्रीय बैंक सहित प्रमुख संस्थानों को चलाने के लिए अधिकारियों को नियुक्त किया जा चुका है
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