November 10, 2024

UP One India

Leading Hindi News Website

हिजाब मामलाः Supreme Court का तुरंत सुनवाई से इनकार, जानें कोर्ट ने क्या कहा?

हिजाब मामलाः Supreme Court का तुरंत सुनवाई से इनकार, जानें कोर्ट ने क्या कहा?

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट Supreme Court ने शुक्रवार को कर्नाटक के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में छात्राओ को हिजाब Hijab पहनकर वार्षिक परीक्षा में शामिल होने की अनुमति देने वाली याचिका को तुरंत सूचीबद्ध करने की याचिका खारिज कर दी। एक महिला वकील ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया। वकील ने कहा कि पांच दिन बाद परीक्षा है, इसलिए याचिका को सूचीबद्ध किया जाए।

बेंच ने वकील से कहा, आप आखिरी तारीख को आइए, हम क्या कर सकते हैं? प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि होली के अवकाश के बाद मामले की सुनवाई के लिए नई पीठ गठित की जाएगी। 22 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में अपने हिजाब पहनकर वार्षिक परीक्षाओं में उपस्थित होने की अनुमति मांगने वाली याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हो गया था। छात्रों की ओर से पेश अधिवक्ता शादान फरासत ने प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ को बताया कि उन्हें सरकारी कॉलेजों में 9 मार्च से शुरू होने वाली वार्षिक परीक्षाओं में शामिल होना है।

Hijab Case: Supreme Court refuses to hear immediately, know what the court said?

शीर्ष अदालत ने वकील से पूछा, उन्हें परीक्षा देने से क्यों रोका जा रहा है? वकील ने बताया कि हिजाब पहनने के कारण। उन्होंने कहा कि छात्राओं को एक वर्ष का नुकसान पहले ही चुका है और यदि कोई राहत नहीं दी गई, तो उन्हें एक और वर्ष का नुकसान हो जाएगा।
23 जनवरी को, सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में पूर्व विश्वविद्यालय कॉलेजों की कक्षाओं में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार करने के लिए तीन-न्यायाधीशों की पीठ गठित करने की याचिका पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में कर्नाटक में प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों की कक्षाओं में कुछ मुस्लिम छात्राओं द्वारा पहने जाने वाले हिजाब पर प्रतिबंध की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर खंडित फैसला दिया था। खंडित फैसला जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने दिया। न्यायमूर्ति गुप्ता, जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, ने कर्नाटक सरकार के सकरुलर को बरकरार रखा और कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपीलों को खारिज कर दिया।

हालांकि, न्यायमूर्ति धूलिया ने प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों की कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने के कर्नाटक सरकार के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि संविधान भी भरोसे का दस्तावेज है और अल्पसंख्यकों ने बहुमत पर भरोसा जताया है।

न्यायमूर्ति धूलिया ने अपने फैसले में कहारू हम एक लोकतंत्र में और कानून के शासन के तहत रहते हैं, और जो कानून हमें नियंत्रित करते हैं उन्हें भारत के संविधान को पारित करना चाहिए। हमारे संविधान के कई पहलुओं में से एक ट्रस्ट है। हमारा संविधान है ट्रस्ट का एक दस्तावेज भी है। अल्पसंख्यकों ने बहुमत पर भरोसा किया है। पीठ ने तब कहा था कि चूंकि विचारों में भिन्नता है, इसलिए इस मामले को एक बड़ी पीठ के गठन के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाएगा।

error: Content is protected !!