नई दिल्ली। कोरोना वायरस और मंकीपॉक्स वायरस के बाद अब टोमेटो फ्लू का खतरा बढ़ गया है। भारत में टोमेटो फ्लू के 80 संभावित मामले देखने को मिले हैं, जहां बच्चों के शरीर पर दर्दनाक फफोले बन गए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक टोमैटो फ्लू का नाम पूरे शरीर में होने वाले लाल और दर्दनाक फफोले के आधार पर पड़ा है, जो धीरे-धीरे बड़ा होकर टमाटर के आकार का हो जाता है। टोमैटो फ्लू होने पर त्वचा पर चकत्ते भी दिखाई देते हैं, जिससे मरीजों को त्वचा में जलन की शिकायत रहती है।
इस बीमारी में थकान, मितली, उल्टी, दस्त, बुखार, पानी की कमी, जोड़ों की सूजन, शरीर में दर्द और सामान्य इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं। डॉक्टरों ने चकत्तों के फफोले की तुलना मंकीपॉक्स से और बुखार के लक्षणों की तुलना डेंगू, चिकनगुनिया और हाथ, पैर और मुंह की बीमारी से की है। शोधकर्ता अभी भी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह लक्षण किन वजहों से शरीर पर दिखाई पड़ते हैं।
अब तक, स्वास्थ्य अधिकारियों ने 2022 के मई और जुलाई के बीच 82 मामले दर्ज किए हैं, जिनमें से सभी मरीज 5 साल से कम उम्र के हैं। टोमेटो फ्लू का सबसे पहला मामला केरल के कोल्लम जिले में देखा गया था, जिसके बाद यह पूरे क्षेत्र में फैल गया। टोमेटो फ्लू को लेकर अभी तक कोई सबूत नहीं मिला है कि यह बीमारी गंभीर या जानलेवा है और बच्चों का इलाज सामान्य उपचार पैरासिटामोल, आराम और बहुत सारे तरल पदार्थों से किया जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार लक्षण दिखने पर बच्चों को सात दिनों तक क्वारंटीन कर देना चाहिए। यह फ्लू वयस्कों को भी संक्रमित कर सकता है।
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