निचलौल-महराजगंज। निचलौल विकासखण्ड में भी मनरेगा में ऐसे व्यक्ति से मजदूरी कराये जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है जिसकी मौत आकाशीय बिजली गिरने से हो गयी, यही नही उसकी मौत के बाद खुद तहसीलदार ने 4 लाख रूपये का चेक पीड़ित के परिवार को दिया था, फिर भी वह मौत के बाद मनरेगा में मजदूरी करने चला आया, गांव के लोगों ने जिलाधिकारी से शिकायत किया इसकी जांच का तो पता नही लेकिन एक दैनिक अखबार ने जब खबर छापी तो खबर के बाद जो जांच हुई तो जांच में यहां खेला हो गया, खण्ड विकास अधिकारी ने कार्यवाही की जगह जांच में इस मामले को मैनेज कर डाला।
बताते चले निचलौल विकास खण्ड के ग्राम कैमी निवासी रामगुलाब पुत्र कन्हैया की मौत 12 जनवरी 22 को आकाशीय बिजली की चपेट मे आने से हो गयी, जिसमें बाद तहसीलदार ने 17 जनवरी 22 को सरकार से मिलने वाले सहायता 4 लाख रूपये का चेक पीड़ित परिवार को दिया, उसके बाद मृतक गांव मे नाली खुदाई से लेकर चकबंध तक मनरेगा की मजदूरी किया है।
गांव के लोगों ने 4 अप्रैल 2022 को जो शिकायत किया है उसके अनुसार मृतक रामगुलाब जाब कार्ड संख्या 42 पर 20 जनवरी 22 से 2 फरवरी 22 तक, 14 दिन रामरतन के चक से सोहट सिवान तक मजदूरी किया, जिस की मजदूरी 2856 रूपये भुगतान किया गया, इतना ही नही 18 फरवरी 22 से 3 मार्च 22 तक, 14 दिन अमर के खेत से विरेन्द्र के खेत तक चबबंध कार्य किया और 2856 रूपये मजदूरी भेजी गयी।
मृतक द्वारा मनरेगा में मजदूरी किये जाने की शिकायत पर जांच हुई कि नही हुई यह तो पता नही चल सका लेकिन इस मामले को जब एक दैनिक अखबार ने छापा तो इसकी जांच खण्ड विकास अधिकारी को मिली, इस मामले में खण्ड विकास अधिकारी ने इस तरह जांच किया और रिपोर्ट तैयार की जो कार्यवाही की जगह मामले को ही खत्म कर दे रहा है।

खण्ड विकास अधिकारी की जांच रिपोर्ट
राम गुलाब पुत्र कन्हई को मृत्यु के पश्चात मजदूरी प्रदान करने से संबंधित प्रकरण की जांच की गई, इस के क्रम में अवगत कराना है कि राम गुलाब पुत्र कन्हई जिनकी मृत्यु दिनांक 12 जनवरी 2022 को आकाशीय बिजली गिरने से हुई उनके द्वारा राम रतन के चक से सोहट सिवान तक नाली खुदाई कार्य पर 14 दिन कार्य कराकर 2856 रुपए का भुगतान कराया गया, उक्त कार्य पर दिनांक 20 जनवरी 2022 से दिनांक 2 फरवरी 2022 तक कार्य करने हेतु एमआर 13788 जारी किया गया है, रामगुलाम पुत्र कन्हई का जॉब कार्ड नंबर 42 है इसमें इनकी पत्नी मंजू देवी का नाम अंकित नहीं है, उक्त कार्य पर मृतक की पत्नी मंजू देवी द्वारा कार्य संपादन दिखाकर मजदूरी 2856 रुपया का भुगतान उनके संयुक्त खाते में दिनांक 28 फ़रवरी 22 को किया गया जो मनरेगा नियमों के अनुसार सही नहीं है, प्रकरण की जानकारी होते ही मृतक की पत्नी श्रीमती मंजू देवी द्वारा मजदूरी की धनराशि 2856 रूपये उत्तर प्रदेश ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना समिति के खाता भारतीय स्टेट बैंक जवाहर भवन लखनऊ में दिनांक 11-04-20 22 को जमा करा दिया गया, बैंक की जमा रसीद व मृतक की पत्नी मंजू देवी द्वारा दिया गया शपथ पत्र संगलग्न है।
जांच में एक चकबंध कहां गायब हो गया
जांच रिपोर्ट में 20 जनवरी 22 से 2 फरवरी 22 तक, 14 दिन रामरतन के चक से सोहट सिवान तक की मजदूरी 2856 रूपये भुगतान किया गया को दिखा कर मामला मैनेज का खेत खेला गया तो वही मृतक ने 18 फरवरी 22 से 3 मार्च 22 तक, 14 दिन अमर के खेत से विरेन्द्र के खेत तक चबबंध कार्य किया और 2856 रूपये मजदूरी भेजी गयी, जांच रिपोर्ट में इसका कही नाम ही नही है।
मैनेज नही तो और क्या है
शिकायतकर्ता 4 मार्च 2022 को शिकायत कर रहा है और जैसा कि खण्ड विकास अधिकारी निचलौल ने 12 जूलाई 2022 को मुख्य विकास अधिकार को जो जांच रिपोर्ट भेजी है उसके अनुसार मृतक की पत्नी द्वार 11 अप्रैल 2022 को मनरेगा की मजदूरी को वापस ग्रामिण रोजगार गारंटी योजना समिति के खाते में जमा करा दिया गया और इस की रसीद व एक शपथ पत्र खण्ड विकास अधिकारी को दी गयी।
यहां तो साफ हो जाता है कि 4 अप्रैल 22 को शिकायत के बाद जांच शुरू हुई तो 11 अप्रैल 22 मनरेगा के खाते में मजदूरी का पैसा वापस कर दिया गया और शपथ पत्र बना खण्ड विकास कार्यालय को दे दिया गया और खण्ड विकास अधिकारी ने 12 जूलाई 22 को जांच रिपोर्ट मुख्य विकास अधिकारी को सौंप दिया और इस मामले को खत्म कर दिया।
सवाल मनरेगा खाते का नम्बर किसने दिया
अब बड़ा सवाल तो यह भी है कि जांच शुरू होने के बाद जो मनरेगा की मजदूरी वापस खाते में भेजी गयी उस खाते का नम्बर मृतका की पत्नी को कौन दिया, यानी मामला खुलते ही जो फंसने वाले लोग थे बचाव शुरू कर दिये और उन्होंने खाता में मजदूरी का पैसा वापस जमा करवा कर मामले को मैनेज कर दिया।
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