गया। महिलाओं और शूद्रातिशूद्रों को गुलामी से निकालने के लिए महामना फुले ने 19 वीं सदी में काफी संघर्ष किया था। इसलिए उनके यशकायी दिवस पर हरेक साल 28 नवम्बर को अर्जक संघ शक्ति दिवस के रूप मनाता आ रहा है।
श्री पथिक ने कहा कि महिलाओं समेत पिछड़े और दलितों को शिक्षित करने हेतु भारत में पहली बार ज्योतिबा फुले जी ने 1848 से लेकर 1952 तक 13 स्कूल खोला था और अपनी पत्नी सावित्री बाई फुले को पहली शिक्षिका बनाया था क्योकि तब उन्हें पढ़ने का अधिकार नहीं था। विधवा विवाह को प्रोत्साहित किया था। भ्रूणहत्या ,बाल विवाह समेत तमाम धार्मिक और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष छेड़ा था।
शोषित समाज के नेता रामप्रकाश सिंह ने सभा की अध्यक्षता की।
अर्जक संघ और शोषित समाज दल के संयुक्त तत्वावधान में गया के रमना में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए संघ के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शिवनंदन प्रभाकर, शोषित समाज दल के केदार वर्मा, अशोक कुमार, कुमारी पुष्पलता, शंकर कुमार, सुधीर रजक, राजकुमार रंजन, पवन कुमार, सुनील कुमार, गोपाल कुमार, सुरेन्द्र कुश, जितेंद्र पुष्प, कमलेश चंद्रवंशी आदि वक्ताओं ने महामना ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले की जीवनी पर प्रकाश डाला और कहा कि उनके आंदोलन की वजह से ही हम शिक्षित हो सके और हमारा विकास हो सका है।
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