सिसवा बाजार-महराजगंज। सिसवा नगर पालिका परिषद में विकास कार्य इतनी तेजी से चल रहा है कि अधिकारी गुणवत्ता तक देखने का जहमत नही उठा रहे है, उन्हे शायद कम समय में ज्यादा विकास कार्य करना है यानी करोड़ों खर्च करना है, गुणवत्ता रहे या न रहे उन्हे इस बात का कोई फर्क नही, शायद इसी की देन है कि निचलौल बस स्टेशन के पास पिछले छः माह पहले बना नाला ध्वस्त हो गया, फिर भी अधिकारी नाले की गुणवत्ता की जांच और ठेकेदार पर कार्यवाही न कर एक सप्ताह मे पुनः निर्माण की बात कह रहे है।
बताते चले सिसवा बाजार जब से नगर पालिका परिषद हुआ है विकास कार्य गति पकड़ा लेकिन जब से प्रशासक बैठे है उस समय से तो लगता है विकास की गति इतनी तेज हो गयी है कि कम समय में ही अधिकारी सिसवा नगर पालिका की तस्वीर बदलना चाहते है, चाहे सीमेंट वाली नालियों, नालों का निर्माण हो या फिर सीमेंट वाली सड़कों का या फिर बिजली खम्भों पर स्ट्रीट लाइट लगवानें की लेकिन जिस तरह मानक की धज्जियां उड़ायी जा रही है और अधिकारी सब कुछ देखते हुए भी चुप्पी लगाये हुए कहानी कुछ और ही कह रही है।
ऐसे में विकास की गति देने के लिए निचलौल बस स्टेण्ड कब्रिस्तान के पास मुख्य सड़क के किनारे लाखो रूपया खर्च कर सीमेंट वाली नाले का निर्माण लगभग छः माह पूर्व कराया गया, जब कि उस नाले के निर्माण से पानी निकासी का कोई कार्य होता ही नही है, क्यों कि बीच में महिला अस्पताल जाने वाली सड़क है और सड़क पर कोई पुलिया ही नही बनी है जो दोनों तरफ बने नाले को जोड़े, ऐसे में सड़क के दोनों तरफ लाखों रूपया खर्च कर नाला तो बना लेकिन बेकार साबित हो रहा है, इस की गुणवत्ता की बात करें तो नाले के निर्माण के समय नीचे बेड मे मानक की धज्जियां उड़ाते हुए सेर्म इंट के टूकड़े को बिछाया गया फिर नाले का निर्माण किया गया, निर्माण में जितना हो सकता है मानक व टेण्डर के नियामों की धज्जियां उड़ायी गयी, हालत यह है कि नाले देखने से ही लगता है कि मानक की धज्जियां उड़ाते हुए इस का निर्माण किया गया है, और अभी पिछले एक सप्ताह पहले ही नाले का एक हिस्सा अपने आप ध्वस्त हो गया, जो खुद ही अपनी कहानी बताने के लिए काफी है।
बताया जाता है कि नाले के ध्वस्त होने के बाद नगर पालिका के अधिकारियों को जानकारी मिली लेकिन गुणवत्ता की जांच और ठेकेदार के विरूध कोई कार्यवाही न कर सीधे ठेेकेदार को यह कहे कि एक सप्ताह में नाले को बनवा दें।
यहां सवाल जरूर उठता है कि जब नाले का एक हिस्सा निर्माण के छः माह मे ही अपने आप ध्वस्त हो गया तो बाकी नाले की क्या स्थिति होगी, इस मामले की तो जांच होनी चाहिए और कार्यवाही भी होनी चाहिए, लेकिन अधिकारी ऐसे क्यों नही कर रहे है, एक सवाल बन चुका है।
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