December 20, 2024

UP One India

Leading Hindi News Website

Lakhimpur Kheri violence : आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ अपील पर 11 मार्च को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

Lakhimpur Kheri violence : आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ अपील पर 11 मार्च को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

           नईदिल्ली। उच्चतम न्यायालय लखीमपुर खीरी हत्याकांड के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से मिली जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका पर 11 मार्च को सुनवाई करेगा। आरोपी आशीष भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी का बेटा है।
            शीर्ष अदालत की तीन सदस्यीय खंडपीठ की अध्यक्षता कर रहे मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन ने शुक्रवार को वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के विशेष उल्लेख पर कहा कि वह इस अपील पर 11 मार्च को सुनवाई कर सकते हैं। श्री भूषण ने इस मामले को अत्यावश्यक बताते हुए खंडपीठ के समक्ष शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई थी।
                मृतक किसानों के परिजनों का नेतृत्व कर रहे जगजीत सिंह की ओर से अधिवक्ता श्री भूषण ने फरवरी में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा आशीष को जमानत दिए जाने को कानूनी प्रक्रिया एवं अन्याय की अनदेखी करार दिया है। इससे पहले, अधिवक्ता सी एस पांडा और शिव कुमार त्रिपाठी ने भी केंद्रीय राज्य मंत्री के पुत्र की जमानत के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में पिछले साल तीन अक्टूबर को कथित रूप से आशीष की कार से कुचलकर चार किसानों की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद भड़की हिंसा में दो भाजपा कार्यकर्ताओं के अलावा एक कार चालक एवं एक पत्रकार की मृत्यु हो गई थी।
               तीन अक्टूबर 2021 को हुई इस घटना के मामले में श्री पांडा एवं श्री त्रिपाठी ने जनहित याचिका के साथ पिछले साल शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। तब अदालत ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन के नेतृत्व में पूरे मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया था। किसानों के परिजनों की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने 10 फरवरी के अपने आदेश में आशीष को जमानत देने में अनुचित और मनमाने ढंग से विवेक का प्रयोग किया।
                किसानों के परिजनों की याचिका में दावा किया गया है कि उन्हें कई आवश्यक दस्तावेज उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाने से रोका गया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि उनके वकील को 18 जनवरी 2022 को वर्चुअल सुनवाई से तकनीकी कारणों से डिस्कनेक्ट कर दिया गया था और इस संबंध में अदालत के कर्मचारियों को बार-बार कॉल कर संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन कॉल कनेक्ट नहीं हो पाया था। इस तरह से मृतक किसानों के परिजनों की याचिका प्रभावी सुनवाई किए बिना खारिज कर दी गई थी।
                 जगजीत सिंह के नेतृत्व में दायर याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने की वजहों में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आशीष की जमानत के खिलाफ अपील दायर नहीं करना भी शामिल है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उत्तर प्रदेश में उसी दल की सरकार है, जिस दल की सरकार में आरोपी आशीष के पिता अजय मिश्रा मंत्री हैं। याचिका में कहा गया है कि शायद इसी वजह से राज्य सरकार ने आशीष की जमानत के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर नहीं की। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उच्च न्यायालय अपराध की जघन्य प्रकृति पर विचार करने में विफल रहा। उनका कहना है कि गवाहों के संदर्भ में आरोपी की स्थिति उसके न्याय से भागने, अपराध को दोहराने, गवाहों के साथ छेड़छाड़ और न्याय के रास्ते में बाधा डालने की संभावनाओं से भरा पड़ा है।
              गौरतलब है कि आशीष को उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले साल नौ अक्टूबर को तीन अक्टूबर की हिंसक घटना से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया था। फरवरी में वह जमानत पर जेल से रिहा कर दिया गया। तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के लखीमपुर खीरी के एक कार्यक्रम के विरोध के दौरान हिंसक घटनाएं हुई थी।

error: Content is protected !!