नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों ने आम लोगों की टेंशन बढ़ा दी है। हर दिन पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं। खासतौर पर कोरोना काल में तेल की कीमतों में जबरदस्त इजाफा हुआ है। मई 2020 की शुरुआत से अब तक पेट्रोल की कीमत 36 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ गई है। वहीं, डीजल के दाम में 26.58 रुपये का इजाफा हो चुका है।
देश के लगभग सभी शहरों में पेट्रोल 100 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच चुका है। वहीं, कुछ शहरों में डीजल भी 100 रुपए प्रति लीटर से ज्यादा के भाव पर बिक रहा है। मई में बढ़ाया गया था उत्पाद शुल्क, दरअसल, मई, 2020 के पहले सप्ताह में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया था। ये वक्त था जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में 19 डॉलर प्रति बैरल तक की गिरावट आई थी। ऐसे में माना जा रहा था कि इस गिरावट का लाभ आम लोगों को मिलेगा। हालांकि, सरकार ने इसके उलट उत्पाद शुल्क लगा दिया। इस वजह से उपभोक्ताओं को तात्कालिक तौर पर मामूली राहत मिली थी। वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 85 अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई हैं। बता दें कि पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 32.9 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 31.8 रुपये प्रति लीटर है।
पेट्रोल और डीजल की आसमान छूती कीमतों पर सरकार की ओर से भी बयान आया है। हाल ही में पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर लिए जा रहे टैक्स की मदद से सरकार कोरोना काल में फ्री वैक्सीन, मुफ्त भोजन और रसोई गैस का इंतजाम कर रही है। इसके अलावा कई अन्य सरकारी योजनाओं के लिए भी मदद मिलती है। उनसे पूछा गया था कि क्या सरकार उपभोक्ताओं पर बोझ कम करने के लिए टैक्स में कटौती करेगी, जो पेट्रोल की कीमत का 54 प्रतिशत और डीजल की कीमत का 48 प्रतिशत से अधिक है।
इससे पहले पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने बताया थाा कि पेट्रोल और डीजल पर केंद्र सरकार का कर संग्रह एक साल पहले के 1.78 लाख करोड़ रुपये से 31 मार्च तक 88 प्रतिशत बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये हो गया। पूर्व-महामारी 2018-19 में उत्पाद शुल्क संग्रह 2.13 लाख करोड़ रुपये था। तेल बांड भी कीमत बढऩे की वजहरू हरदीप पुरी ने यूपीए शासनकाल से तेल बांड और उस पर ब्याज के भुगतान का भी जिक्र किया। वित्त मंत्रालय के अनुसार, 1.34 लाख करोड़ रुपये के तेल बांडों में से केवल 3,500 करोड़ रुपये मूलधन का भुगतान किया गया है और शेष 1.3 लाख करोड़ रुपये का भुगतान चालू वित्त वर्ष और 2025-26 के बीच किया जाना है। सरकार को इस वित्तीय वर्ष (2021-22) में 10,000 करोड़ रुपये चुकाने हैं। 2023-24 में 31,150 करोड़ रुपये, अगले वर्ष 52,860.17 करोड़ रुपये और 2025-26 में 36,913 करोड़ रुपये चुकाने हैं।
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