नई दिल्ली । राजस्थान में पाकिस्तान से लगती सीमा से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग 225 पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हरक्यूलिस विमान से उतरकर इतिहास रच दिया। दोनों केंद्रीय मंत्रियों के साथ इंडियन एयर फोर्स के चीफ आरकेएस भदौरिया भी शामिल थे। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण एनएचआईए ने किया है। इसके तहत बाकासर गांव के समीप 39.95 करोड़ रूपये की लागत से एयर स्ट्राइक बनाई गई है। केंद्रीय मंत्रियों ने दिल्ली से उड़ान भरी थी तथा जालोर जिले में अडगांव में बनी आपात हाईवे पट्टी पर उतरे।
आपात लैंडिंग की सुविधा के लिए यह हवाई पट्टी बनाई गई है। इस पर आज सुखोई और जगुआर विमानों ने टच डाउन किया। एक सुखोई विमान को हवाई पट्टी पर पार्क भी किया गया। आसमान पर हरक्युलिस, जगुआर एवं सुखोई विमान की गडग़ड़ाहट के बीच रक्षामंत्री ने तालियां बजाकर खुशी जाहिर की। यह पहला मौका था, जब देश में हरक्यूलिस, सुखोई जैसे विमान हाईवे पर गरजे। इमरजेंसी लैंडिंग के लिए बनी हवाई पट्टी को रणनीतिक लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। पाकिस्तान से चंद किलोमीटर की दूरी पर स्थित इससे आपातकाल में सैन्य ऑपरेशन चलाने में सुविधा मिल सकेगी।
इस मौके पर नितिन गडकरी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हम देश कई और जगहों पर इस तरह की हवाई पट्टी बनाने वाले हैं। उन्होंने कहा कि अभी दिल्ली से आते हुए वायुसेना चीफ ने कहा कि हमें सैन्य हवाई पट्टी में डेढ़ साल तक का वक्त लगता है। इस पर मैंने कहा कि हम आपके लिए सिर्फ 15 दिनों में ऐसा काम कर सकते हैं। नितिन गडकरी ने कहा कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने लगातार तेजी से काम करते हुए कई विश्व रिकॉर्ड भी बनाए हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि हम लोग प्रतिदिन 2 किलोमीटर सड़क बनाने तक आए थे। कोरोना के बावजूद भी हमने प्रतिदिन 38 किलोमीटर सड़क बनाया है जो दुनिया में सबसे ज़्यादा है। मुंबई और दिल्ली के बीच हमलोग एक्सप्रेस हाईवे बना रहे हैं जिसका 60-65 प्रतिशत काम पूरा हुआ है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा सेना की ऑपरेशनल क्षमता को बढ़ाने के लिए देश में कई स्थानों पर इस प्रकार की इमर्जेंसी लैंडिंग फील्ड का निर्माण किया जा रहा है। इससे प्राकृतिक आपदा की घड़ी में जनता को जल्द से जल्द राहत पहुंचाने में भी मदद मिलेगी।
इस परियोजना में आपातकालीन लैंडिंग पट्टी के अलावा कुंदनपुरा, सिंघानिया और बाखासर गांवों में वायु सेना/भारतीय सेना की आवश्यकताओं के अनुसार तीन हेलीपैड (प्रत्येक का आकार 100&30 मीटर) का निर्माण किया गया है, जो पश्चिमी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भारतीय सेना और सुरक्षा नेटवर्क के सुदृढ़ीकरण का आधार होगा। ईएलएफ का निर्माण 19 महीने के अंदर पूरा किया गया है। इसका निर्माण कार्य जुलाई 2019 में शुरू किया गया था और जनवरी 2021 में यह सम्पन्न हो गया। आईएएफ और एनएचएआई की देखरेख में जीएचवी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने इसका निर्माण किया है।
यह पट्टी भारतमाला परियोजना के तहत गगरिया-बखासर और सट्टा-गंधव खंड के नव विकसित टू-लेन पेव्ड शोल्डर का हिस्सा है, जिसकी कुल लंबाई 196.97 किलोमीटर है और इसकी लागत 765.52 करोड़ रुपये है। पेव्ड शोल्डर उस भाग को कहा जाता है, जो राजमार्ग के उस हिस्से के पास हो जहां से वाहन नियमित रूप से गुजरते हैं।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने भारतीय वायु सेना के लिए आपातकालीन स्थिति में विमान उतारने के वास्ते एनएच-925ए के सट्टा-गंधव खंड के तीन किलोमीटर के हिस्से पर इस आपातकालीन पट्टी का निर्माण किया है। इससे पहले अक्टूबर 2017 में, भारतीय वायुसेना के लड़ाकू एवं परिवहन विमानों ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर मॉक लैंडिंग की थी ताकि यह दिखाया जा सके कि ऐसे राजमार्गों का उपयोग वायुसेना के विमानों द्वारा आपात स्थिति में उतरने के लिए किया जा सकता है। लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे, जोकि एक राष्ट्रीय राजमार्ग नहीं है, उत्तर प्रदेश सरकार के तहत आता है।
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