December 22, 2024

UP One India

Leading Hindi News Website

रेप पीड़िता के साथ आरोपी ने की शादी, सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया बरी

रेप पीड़िता के साथ आरोपी ने की शादी, सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया बरी

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत मिली असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए पीडि़त महिला से विवाह करने पर रेप के आरोपी के खिलाफ धारा 376 के तहत चल रहा अभियोजन समाप्त कर दिया। जस्टिस विनीत शरण की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश आरोपी जतिन अग्रवाल की विशेष अनुमति याचिका पर कोर्ट ने कहा कि यह सत्यापित हो गया है कि महिला के साथ आरोपी ने 23 सितंबर 2020 को विवाह कर लिया है। वह खुशी से उसके साथ रह रही है।

कोर्ट ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये उससे बात की और वकील से उसकी पहचान करवाई और विवाह प्रमाणपत्र भी देखा। अभियुक्त पीडि़त से ऑनलाइन वेब पोर्टल भारत मैट्रीमोनी पर मिला था और उसके बाद दोस्ती कर उसने उसे शादी का वादा किया। इसके बाद वह कई दिनों साथ रहे, लेकिन बाद में वह मुकर गया। इस पर महिला ने उसके के खिलाफ धारा 417, 420 और 376 के तहत एफआईआर दर्ज करवाई। इसके बाद दोनों में समझौता हो गया और आरोपी ने पीडि़त से विवाह कर लिया।
आरोपी ने रेप का अभियोजन रद्द करने के लिए धारा 482 के तहत तेलंगाना हाईकोर्ट में याचिका दायर की लेकिन हाईकोर्ट ने केस समाप्त करने से इनकार कर दिया। इस आदेश को उसने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

विवाह करने के बाद रेप के आरोप रद्द करने पर बहुत असमंजस की स्थिति है। कानून के अनुसार रेप का आरोप गंभीर, संज्ञेय और गैजमानती अपराधों की श्रेणी में आता है। अदालत में रेप सिद्ध होने पर कम से कम सात वर्ष की सजा का प्रावधान है। सीआरपीसी की धारा 320 के तहत ऐसे केसों में आरोप समाप्त नहीं किए जा सकते जो अपराध समाज के खिलाफ माने गए हैं और जिनमें सात साल या उससे ज्यादा के कारावास की सजा प्रावधान है। प्ली बारगेनिंग (समझौता/मुआवजा) में भी इन अपराधों को शामिल नहीं किया गया है। हाईकोर्ट को भी यह अधिकार नहीं है कि वह ऐसे अपराधों में समझौता होने पर उन्हें समाप्त कर सके। यह असाधारण अधिकार सुप्रीम कोर्ट को ही है कि वह अनुच्छेद-142 के तहत पूर्ण न्याय करने के लिए कोई भी आदेश दे सकता है।

error: Content is protected !!