कानपुर । कानपुर देहात में गोद में लिए बच्चे के पिता को लाठी से बेरहमी से मारने वाले अकबरपुर कोतवाल वीके मिश्रा को एडीजी जोन भानु भास्कर ने निलंबित कर दिया है। इंस्पेक्टर ने बताया कि युवक ने उसके हाथ में काट लिया था जिसके बाद उसने हंगामा कर रहे युवक को पीटा। जिला अस्पताल में कल हुए बवाल को लेकर पहुंचे आईजी प्रशांत कुमार और डीएम जेपी सिंह,एसपी केके चौधरी ने घटनास्थल का निरीक्षण किया।
उन्होंने जिला अस्पताल की ओपीडी में मरीज पंजीकरण कर्मी से जानकारी ली। इसके बाद जिला अस्पताल में बने खनन स्थल पर भी जाकर जांच पड़ताल की। कानपुर देहात में पुलिस की बर्बरता का वीडियो सामने आने के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया था। वीडियो में दिख रहा है कि बच्चे को गोद में लिए एक शख्स पर अकबरपुर कोतवाल वीके मिश्रा जमकर लाठी बरसा रहे हैं। ये कानपुर देहात के अकबरपुर इलाके के जिला अस्पताल के सामने की घटना है। इंस्पेक्टर ने न सिर्फ लाठियों से हमला किया,बल्कि उसके बच्चे को भी छीनने की कोशिश की। मासूम बच्चे के रोने पर भी पुलिस को उसपर तरस नहीं आया, जिसके बाद बच्चा रोने लगा। इस सब के बाद भी पुलिस को रहम नहीं आया और बच्चे के पिता को गुस्से से बौखलाए कोतवाल पीटते रहे।
पुलिस का दावा है कि इस शख्स ने एक इंस्पेक्टर के हाथ पर काट लिया था। वीडियो वायरल होने के बाद अकबरपुर इंस्पेक्टर को एडीजी जोन भानु भास्कर ने शुक्रवार को सस्पेंड कर दिया है। इससे पहले देर रात इंस्पेक्टर को लाइन हाजिर किया गया था। साथ ही पूरे मामले की जांच एएसपी को सौंपी गई है। उनकी रिपोर्ट के आधार पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
वीडियो में युवक बच्चे को लग जाएगी, मत मारिए, कहते हुए सुनाई दे रहा है। वहीं इंस्पेक्टर सहित कई पुलिसकर्मी उसका पीछा करते हैं और कुछ अधिकारी बच्चे को जबरदस्ती उससे दूर खींचने की कोशिश करते हैं। इस दौरान युवक कह रहा है कि यह उसका बच्चा है और इसकी मां भी नहीं है। बच्चा रोने लगता है लेकिन पुलिस को उसपर कोई तरस नहीं आता है।
कर्मचारी नेता रजनीश शुक्ला पर थाना प्रभारी को दांत से काटने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया। दूसरी ओर अस्पताल में निर्माण कार्य करा रहे ठेकेदार ने भी उसके खिलाफ रंगदारी, मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया है। जिला अस्पताल प्रबंधन की ओर से भी कर्मचारी नेता रजनीश शुक्ला के ऊपर मुकदमा दर्ज कराया गया है। इसमें आरोप है कि बगैर किसी सूचना के धरना प्रदर्शन करने लगे और जबरन अस्पताल की ओपीडी बंद कराई गई। इससे अस्पताल में आने वाले मरीजों को परेशानी उठानी पड़ी।
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