September 17, 2024

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देश में 12 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों के लिए पहली वैक्सीन को मिली मंजूरी

   

     नईदिल्ली । गुजरात स्थित फार्मा कंपनी जायडस-कैडिला की तीन खुराक वाली कोरोना वायरस वैक्सीन को भारत में 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों और व्यस्कों पर आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है। भारत में 18 साल से कम आयुवर्ग पर इस्तेमाल के लिए मंजूरी पाने वाली यह पहली वैक्सीन है। प्लास्मिड डीएनए प्लेटफॉर्म पर बनी यह दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन है, जिसे इस्तेमाल की मंजूरी मिली है। इस वैक्सीन को जायकोव-डी  नाम से जाना जाएगा।
         इस वैक्सीन को कंपनी ने भारत सरकार के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के साथ मिलकर तैयार किया है और यह तीसरे चरण के ट्रायल में 66.66 प्रतिशत प्रभावी पाई गई थी। इस वैक्सीन को 12-18 साल के उम्रवर्ग पर भी इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है, लेकिन यह पूरी तरह से सरकार पर निर्भर करता है कि वह इस आयुवर्ग का वैक्सीनेशन कब शुरू करती है। उम्मीद की जा रही है अक्टूबर तक यह वैक्सीन इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हो सकती है।
      शरीर के अंदर जाने पर जायकोव-डी कोरोना जैसी स्पाइक प्रोटीन बनाएगी, जिन्हें पहचान कर इम्युन सिस्टम एंटीबॉडीज बनाना शुरू कर देगा। इन्हें वेरिएंट्स के हिसाब से बदला जा सकता है। डीएनए प्लेटफॉर्म पर आधारित होने के कारण इस वैक्सीन को स्टोरेज के लिए बहुत ठंडे तापमान की जरूरत नहीं होती और इसकी लागत भी कम है। इसके अलावा इसके उत्पादन के लिए कोवैक्सिन और दूसरी वैक्सीनों की तरह अति उच्च जैव सुरक्षा वाले संयंत्र की जरूरत नहीं होती।
           जायडस कैडिला वैक्सीन की एक और खास बात यह है कि इसे लगाने के लिए सुई वाले इंजेक्शन की जरूरत नहीं होगी। यह इंट्राडर्मल इंजेक्शन होगा, जिसे लगाना आसान होता है। बता दें कि इंट्राडर्मल इंजेक्शन वो होते हैं, जो मांसपेशियों की बजाय त्वचा में लगाए जाते हैं। इस वजह से वैक्सीन लगवाते समय होने वाला दर्द भी कम हो जाता है। भारत में मंजूरी पाने वाली यह कुल छठी और कोवैक्सिन के बाद दूसरी स्वदेशी वैक्सीन है।
जायडस की वैक्सीन की दूसरी खुराक को पहली खुराक के 28वें दिन और तीसरी खुराक को 56वें दिन दिया जाएगा। कंपनी दो खुराकों वाली वैक्सीन पर भी काम कर रही है। इसके लिए नियामक संस्था ने अतिरिक्त आंकड़ों की मांग की है।
         भारत में जायकोव-डी समेत कुल छह कोरोना वैक्सीनों को इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी हैं, लेकिन तीन का ही इस्तेमाल हो रहा है। वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का इस्तेमाल किया जा रहा है। अप्रैल में हरी झंडी मिलने के बाद स्पूतनिक- वी का इस्तेमाल शुरू हुआ था। मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीनों को भी मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन इनका उपयोग शुरू नहीं हुआ है।

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