भोपाल। कोविड की तीसरी लहर की आशंका के बीच मप्र में खंडवा लोकसभा और पृथ्वीपुर, जोबट व रैगांव विधानसभा के उपचुनाव टालने को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्रीय चुनाव आयोग से उपचुनाव को लेकर उसकी तैयारी के बाबत जानकारी मांगी। चुनाव आयोग ने विस्तृत जानकारी पेश करने के लिए दो दिन की मोहलत मांगी है।
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अब मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में 22 सितम्बर को नियत है। मध्यप्रदेश में खंडवा लोकसभा और पृथ्वीपुर, जोबट व रैगांव विधानसभा के उपचुनाव टालने को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से 15 दिन पहले दो सप्ताह के अंदर जवाब मांगा था।
आयोग से चुनाव को लेकर की जा रही तैयारी, इस क्षेत्रों में कराए गए कोविड के आंकलन आदि की जानकारी मांगी थी। गत दिवस हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डबल बेंच ने मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्रीय चुनाव आयोग से पूछा कि उपचुनाव को लेकर उसकी क्या तैयारी है।
आयोग से चुनाव को लेकर की जा रही तैयारी, इस क्षेत्रों में कराए गए कोविड के आंकलन आदि की जानकारी मांगी थी। गत दिवस हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डबल बेंच ने मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्रीय चुनाव आयोग से पूछा कि उपचुनाव को लेकर उसकी क्या तैयारी है।
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इस पर आयोग की ओर से बताया किया कि उसने एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है, अगले दो दिन में पेश कर देगा। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद अगली सुनवाई 22 सितम्बर को नियत की है। भोपाल के नागरिक उपभोक्ता मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे की ओर से हाईकोर्ट से जनहित याचिका लगाई गई है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि तीसरी लहर के बीच उपचुनाव कराना लोगों की जान जोखिम में डालना होगा।
दमोह उपचुनाव का हवाला देेते हुए बताया गया कि कैसे कोविड की दूसरी लहर में इस उपचुनाव के चलते एकह जार से अधिक लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। याचिका के माध्यम से कोरोना की तीसरी लहर खत्म होने की पुष्टि होने तक उपचुनाव टालने की मांग की गई है। याचिका के माध्यम से राज्य निर्वाचन आयोग के साथ ही केंद्रीय चुनाव आयोग, केंद्र व राज्य सरकार को भी पक्षकार बनाया गया है।
दमोह उपचुनाव का हवाला देेते हुए बताया गया कि कैसे कोविड की दूसरी लहर में इस उपचुनाव के चलते एकह जार से अधिक लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। याचिका के माध्यम से कोरोना की तीसरी लहर खत्म होने की पुष्टि होने तक उपचुनाव टालने की मांग की गई है। याचिका के माध्यम से राज्य निर्वाचन आयोग के साथ ही केंद्रीय चुनाव आयोग, केंद्र व राज्य सरकार को भी पक्षकार बनाया गया है।
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