नईदिल्ली। किसान विरोध के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को नए कृषि कानूनों को कृषि विरोधी कानून करार दिया और केंद्र पर पूंजीवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. साथ ही कानूनों को वापस लेने की मांग की है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए अपने एक ट्वीट में तंज करते हुए लिखा, खेत को रेत नहीं होने देंगे, मित्रों को भेंट नहीं देने देंगे.
इससे पहले, वायनाड के सांसद ने केंद्र सरकार पर कृषि व्यवसाय को नष्ट करने के लिए उन्हें डिजाइन करने और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्तों को सौंपने का आरोप लगाते हुए नए कृषि कानूनों को पारित करने के लिए कई मौकों पर केंद्र पर हमला किया था.
इस साल फरवरी में वायनाड में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, पूरी दुनिया देख सकती है कि भारतीय किसानों की मुश्किलें क्या हैं, लेकिन दिल्ली की सरकार किसानों का दर्द नहीं समझ पा रही है. हमारे पॉप स्टार किसानों की स्थिति पर कमेंट कर रहे हैं, लेकिन इस मुद्दे में भारत सरकार की कोई दिलचस्पी नहीं है. वे इन तीन नए कानूनों को तब तक वापस नहीं लेने वाले हैं जब तक उन्हें मजबूर नहीं किया जाता.
उन्होंने आरोप लगाया है कि, इसका कारण यह है कि ये तीन नए कानून भारत में कृषि प्रणाली को नष्ट करने और नरेंद्र मोदी के दो या तीन दोस्तों को पूरा कारोबार देने के लिए तैयार किए गए हैं. दरअसल कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर कई किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों को मानना है कि यह भारत के फेडरल स्ट्रक्चर (संघवाद) को कमजोर करने वाला कानून है. सरकार बाजार आधारित कृषि के लिए काम कर रही है न कि देश के 14 करोड़ किसान परिवारों के लिए.
खेत को रेत नहीं होने देंगे,
मित्रों को भेंट नहीं देने देंगे।कृषि विरोधी क़ानून वापस लो! #FarmersProtest
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 27, 2021
इससे पहले, वायनाड के सांसद ने केंद्र सरकार पर कृषि व्यवसाय को नष्ट करने के लिए उन्हें डिजाइन करने और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्तों को सौंपने का आरोप लगाते हुए नए कृषि कानूनों को पारित करने के लिए कई मौकों पर केंद्र पर हमला किया था.
इस साल फरवरी में वायनाड में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, पूरी दुनिया देख सकती है कि भारतीय किसानों की मुश्किलें क्या हैं, लेकिन दिल्ली की सरकार किसानों का दर्द नहीं समझ पा रही है. हमारे पॉप स्टार किसानों की स्थिति पर कमेंट कर रहे हैं, लेकिन इस मुद्दे में भारत सरकार की कोई दिलचस्पी नहीं है. वे इन तीन नए कानूनों को तब तक वापस नहीं लेने वाले हैं जब तक उन्हें मजबूर नहीं किया जाता.
उन्होंने आरोप लगाया है कि, इसका कारण यह है कि ये तीन नए कानून भारत में कृषि प्रणाली को नष्ट करने और नरेंद्र मोदी के दो या तीन दोस्तों को पूरा कारोबार देने के लिए तैयार किए गए हैं. दरअसल कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर कई किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों को मानना है कि यह भारत के फेडरल स्ट्रक्चर (संघवाद) को कमजोर करने वाला कानून है. सरकार बाजार आधारित कृषि के लिए काम कर रही है न कि देश के 14 करोड़ किसान परिवारों के लिए.
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