बस्ती। खून में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ जाने के कारण त्वचा, नाखून और आंखों का सफेद भाग पीला दिखने लगता है। ये पीलिया रोग के लक्षण हैं। पीलिया से पीड़ित मरीज का समय पर इलाज ना हो तो रोगी को लम्बे समय तक झेलना पड़ता है। कई बार यह जानलेवा हो जाता है।
बस्ती के जिला अस्पताल में आयुष विभाग के नोडल अधिकारी डा. वी.के. वर्मा कहते हैं कि इस रोग में लिवर कमजोर होकर काम करना बंद कर देता है। वैसे हर पद्धति में पीलिया रोग का इलाज है लेकिन आयुर्वेद और होमियोपैथ में इसका रामबाण इलाज है। गन्ने का रस पीलिया के इलाज में अत्यंत लाभकारी होता हैं। दिन में तीन से चार बार सिर्फ गन्ने का रस पीया जाए तो इससे बहुत ही लाभ होता हैं। सत्तू खाकर गन्ने का रस सेवन किया जाय तो सप्ताह भर में ही पीलिया ठीक हो सकता है। गेहूं के दाने के बराबर सफेद चूना गन्ने के रस में मिलाकर सेवन किया जाय तो जल्द से जल्द पीलिया दूर हो जाता है।
गिलोय का रस शहद में मिलाकर सुबह-सुबह सेवन करने से पीलिया रोग दूर होता है। इसके अलावा कच्चे व पके पपीते का सेवन भी पीलिया रोग में काफी लाभप्रद हेता है। कच्चे पपीते से बनी सब्जी भी खा सकते हैं लेकिन इसमे मसालों का इस्तेमाल न करें।पीलिया रोग में दही का सेवन करने से लक्षणों को कम करने में बहुत अधिक लाभ पहुंचाता है। जीरा और सेंधा नमक इच्छानुसार इसमे मिला सकते हैं। इसके अलावा पीलिया रोग में रोज सुबह-शाम 1-1 गिलास छाछ में सेंधा नमक मिलाकर पिएं। छाछ, सेंधा नमक पीलिया जल्दी ठीक करने में सहायक है।
हेपेटाइटिस बी एड्स से भी कई गुना खतरनाक है। यह पीलिया का बिगड़ा हुआ रूप है। रोगी को समय से इलाज न मिलने या रोग की अनदेखी करने से यह हेपेटाइटिस बी का रूप ले लेता है जो जानलेवा हो सकता है। इसलिये पीलिया के लक्षण दिखते ही खानपान और दिनचर्या में बदलाव लाते हुये तुरन्त चिकित्सक से संपर्क करना चाहिये।
हेपेटाइटिस बी या पीलिया रोग से निजात दिलाने में होम्योपैथी बेहद कारगर है। चाइना, चेलिडोनियम, कारडुअस, कालमेघ-क्यू, ब्रायोनिया, मर्कसाल, फासफोरस, नैट्रमम्योर, फेरममेट सभी 30 या 200 के पॉवर में चिकित्सक की देखरेख में लक्षणानुसार ली जा सकती हैं।



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