गोरखपुर। हुसैनी जामा मस्जिद बड़गो के निकट महफिल-ए-मिलादुन्नबी हुई। मुख्य वक्ता कारी रहमत अली ने कहा कि अल्लाह ने पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को नूर बनाकर भेजा है,
इसलिए पैग़ंबर-ए-आज़म ने दुनिया में तशरीफ लाने के बाद जिहालत की तारीकी (अंधकार), बदकिरदारी की तारीकी, जुल्म व सितम की तारीकी, बेइंसाफी की तारीकी एवं हर तरह की तारीकी को अपने नूर की रोशनी से जिहालत को इल्म में, बदकिरदारी को अच्छे किरदार में, जुल्म व सितम की तारीकी को अच्छे बर्ताव में, बेइंसाफी की तारीकी को इंसाफ और आपसी भाईचारा में बदल दिया है।
आज हमारे समाज में जो बेचैनी पाई जा रही है, वह इसलिए है कि हम पैग़ंबर-ए-आज़म के बताये हुए रास्ते से भटक गए हैं, अगर हमें सुकून व इत्मिनान हासिल करना है तो हम अपने पैग़ंबर-ए-आज़म के बताये हुए रास्ते पर चलना होगा। इससे हमारे समाज की बुराईयां खुद-ब-खुद खत्म हो जाएंगी। नात-ए-पाक कारी तालीम रज़ा ने पेश की। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क की तरक्की, खुशहाली व भाईचारे की दुआ मांगी गई। महफिल में मौलाना मोहम्मद उस्मान बरकाती, मिनहाज सिद्दीक़ी आदि अकीदतमंद मौजूद रहे।


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