नईदिल्ली । अगले साल से इंश्योरेंस खरीदना महंगा हो जाएगा. लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए अगले साल से 20-40 फीसदी तक ज्यादा प्रीमियम जमा करना पड़ सकता है. अगर इंश्योरेंस कंपनियां प्रीमियम चार्ज बढ़ाती हैं तो इससे उनका मुनाफा तो बढ़ेगा, लेकिन इससे पॉलिसी की डिमांड में गिरावट देखने को मिल सकती है. कोरोना के बाद इंश्योरेंस के प्रति लोगों की सजगता काफी बढ़ी है. लोग अपने और परिवार के लिए इंश्योरेंस खरीदने पर जोर दे रहे हैं. ऐसे में प्रीमियम में बढ़ोतरी से इस सेंटिमेंट को झटका लग सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना काल में इंश्योरेंस क्लेम में इजाफा हुआ है. ऐसे में इंश्योरेंस कंपनियों के लिए प्रीमियम बढ़ाना मजबूरी भी है. रिपोर्ट के मुताबिक, कई इश्योरेंस कंपनियों ने तो प्रीमियम बढ़ाने के लिए आईआरडीएआई के सामने एप्लिकेशन भी जमा किया है. कुछ इंश्योरेंस कंपनियां ग्लोबल री-इंश्योरर से बातचीत कर रही हैं. इनका कहना है कि अगर ग्लोबल री-इंश्योरर अपना चार्ज नहीं बढ़ाती है तो ग्राहकों को ज्यादा प्रीमियम नहीं जमा करना होगा. प्रीमियम में बढ़ोतरी का असर ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह की पॉलिसी पर होगा.
इंश्योरेंस प्रीमियम में बढ़ोतरी की चर्चा पिछले छह महीने से जारी है. अब इसे और नहीं खीचा जा सकता है. दरअसल, कोरोना महामारी के कारण इंश्योरेंस क्लेम में काफी उछाल आया है. यही वजह है कि ग्लोबल री-इंश्योरर कंपनियां अब ज्यादा चार्ज करने लगी हैं. ऐसे में इंश्योरेंस कंपनियों के सामने प्रीमियम बढ़ाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है.
मार्श इंडिया इंश्योरेंस ब्रोकर्स के सीईओ संजय केडिया का कहना है कि कॉर्पोरेट लाइफ इंश्योरेंस के लिए प्रीमियम पहले ही बढ़ाए जा चुके हैं. एडिशनल प्रीमियम का भार इस समय कॉर्पोरेट उठा रहे हैं. ग्रुप कॉर्पोरेट पॉलिसीज के लिए प्रीमियम की दर 300-1000 फीसदी तक बढ़ चुकी है. उनका कहना है कि आने वाले समय में रिटेल प्रीमियम में 40-60 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है, जबकि कॉर्पोरेट प्रीमियम में 50-100 फीसदी तक का उछाल आ सकता है.
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