नई दिल्ली। Agneepath Scheme Case- सेना में भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना में हस्तक्षेप से दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है। उच्च न्यायालय ने अग्निवीरों की भर्ती के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की योजना के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि योजना में हस्तक्षेप के लिए कोई वजह नहीं मिली है और इसलिए सभी याचिकाओं को खारिज किया जाता है।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रहमण्यम प्रसाद की बेंच ने अग्निवीर योजना के खिलाफ दाखिल अर्जियों पर सुनवाई की थी। अग्निवीर योजना के खिलाफ दाखिल अर्जियों में इसके विरोध में कई तरह की बातें कही गई थीं। कोर्ट ने कहा कि ये सेना के भविष्य और उसके ताकतवर बनाने के लिए शुरू की गई है।
Agneepath Scheme Case: Know what the High Court said on the petition challenging the Agneepath scheme?
केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीर की भर्ती की योजना 14 जून 2022 को लागू की थी। इस योजना के तहत सेना, नौसेना और वायुसेना में 4 साल के लिए अग्निवीरों की भर्ती की जा रही है। भर्ती किए जा रहे अग्निवीरों में से 25 फीसदी को उनके कामकाज के आधार पर सेना में आगे भी रखा जाएगा। बाकी को करीब 12 लाख रुपए 4 साल की सेवा के बाद मिलेंगे। इस योजना में अग्निवीरों को कोई पेंशन नहीं दी जाएगी। हालांकि, 4 साल की सेवा के दौरान अग्निवीरों को तनख्वाह के साथ अन्य जवानों को मिलने वाली सभी सुविधाएं मिलेंगी।
अग्निवीर योजना को पहले सीडीएस रहे जनरल बिपिन रावत ने तैयार किया था। उनके निधन के बाद योजना को लागू किया गया। अग्निवीरों की भर्ती के खिलाफ विपक्षी दलों ने खूब हंगामा किया था। इसके अलावा जगह-जगह इसके विरोध में हुए आंदोलन के दौरान हिंसा भी हुई थी, लेकिन केंद्र सरकार ने साफ कर दिया था कि वो अग्निवीर योजना को वापस नहीं लेगी। इसके बाद अग्निवीरों का पहला बैच सेना, नौसेना और वायुसेना में शामिल भी किया गया है।
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