इस्लामाबाद। पाकिस्तान की संसद ने ऐसा कानून पास कर दिया है जिससे अदालतें बलात्कारियों को बधिया करने की सजा दे सकेंगी. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वकीलों ने इस सजा को अमानवीय बताया है.पाकिस्तान में अब बार-बार रेप और यौन शोषण जैसे अपराधों में पकड़े जाने वालों को केमिकल से बधिया किया जा सकेगा. संसद ने ऐसा कानून पास कर दिया है. इसके तहत सीरियल रेपिस्ट और बच्चों का यौन शोषण करने वालों को अदालतें केमिकल कैस्ट्रेशन की सजा दे सकेंगी. सरकार ने एक साल पहले यह बिल पेश किया था. सजा देने के लिए एक प्रक्रिया तय की गई है जिसके तहत सरकारी एजेंसियों को यौन शोषण करने वालों और बलात्कारियों का एक रिकॉर्ड रखना होगा.
मामले की सुनवाई अदालतों को चार महीने के भीतर पूरी करनी होगी. बढ़ते यौन अपराध पाकिस्तान में यह कानून ऐसे समय में आया है जब बलात्कार और बच्चों व महिलाओं के खिलाफ अन्य यौन अपराधों में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है. फिलहाल पाकिस्तान में इन अपराधों के लिए मौत की सजा और उम्रकैद का प्रावधान है. एक हाईवे पर बच्चों के सामने एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद देश में उबले गुस्से के दौरान 2020 में प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि बलात्कारियों को बधिया कर दिया जाना चाहिए. इसी साल मार्च में उस घटना में शामिल दो लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी. हालांकि बलात्कार के मामलों में सजा पाने वालों की संख्या काफी कम है.
सामाजिक संस्था वॉर अगेंस्ट रेप के मुताबिक तीन प्रतिशत से कम बलात्कारियों को ही पाकिस्तान में सजा हो पाती है. अधिकारी चाहते हैं कि यौन अपराधों के लिए विशेष अदालतें स्थापित की जाएं ताकि ऐसे मामलों का जल्दी निपटारा हो सके. कानून की निंदा बहुत सारे मानवाधिकार संगठनों और वकीलों ने पाकिस्तान के इस नए कानून की आलोचना की है. वकील रिजवान खान ने कहा कि यह कानून एक जटिल समस्या का अति साधारण हल है. उन्होंने कहा, यह एक बहुत जटिल समस्या का अतिसाधारणीकृत समाधान है. असल में पूरी न्याय व्यवस्था की आमूल-चूल समीक्षा की जरूरत है. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सुझाव दिया है कि सही हल यौन हिंसा की जड़ों की जांच करना होगा ना कि ज्यादा सख्त सजा देना. भारत में बधियाकरण का सुझाव 2012 में दिल्ली में एक युवती के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद जब देश गुस्से में था तो ऐसे ही कानून का एक प्रस्ताव सरकार ने पेश किया था. इस प्रस्ताव में बलात्कारी को बधियाकरण के साथ साथ 30 वर्ष के कारावास की सजा का प्रावधान था. इस प्रस्ताव पर काम अभी जारी है और कई मंत्रालय इस प्रस्ताव को एक बिल के रूप में पेश करने के लिए काम कर रहे हैं. सरकार बाल अपराधियों से संबंधी कानून की भी समीक्षा कर रही है और ऐसे अपराधों में शामिल अवयस्कों की आयु कम करने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है
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